थोड़ा ले लूँ तुमसे रंग,
मैं तुमसे करके बात
कुछ उठा लूँ लुप्त का संग,
कुछ दांत तुम्हारे
सुन्दर कहकर
आँखों से नूर चुरा लूँ,
मैं अपना तुमको
भेद बताकर
हमराज थोड़ा बना लूँ,
मैं आधे-अधूरे वादे तुमसे
पूरे करने को बोलूँ,
मैं अपने घर मे तुम्हें बुला लूँ
कुछ ना जाने की बात कहूं,
मैं कैसे तुमको दामन में
अपने दामन सा कर लूं?
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