Monday 24 June 2024

आधार

कुछ घूमने फिरने के 
थोड़ा बाद 
आ बैठूंगा उस डाल 
जहां पर मेरा है आधार,
आधार मेरा राम 
घर द्वार मेरे राम,
आसमान बहुत विस्तार 
पर पंखों में श्री राम!

No comments:

Post a Comment

जो है नही

ऐसी चमक, ऐसी खनक  जो है नही, देखने से ढ़ल जाती है सुनी हुई धुन सादी है, मनोहर गढ़ी, भेरी कही योगी की तंद्रा, भोगी की रंभा  कवि की नजर मे सुम...