Thursday, 12 October 2023

संबाद

आंखों ने 
आँखों को देखा 
मुस्कुराए,
प्रेम झलक गया,
हो गया संवाद,
मैंने तुमको 
तुमने मुझको 
किया प्रणाम,
हो गया तीर्थ,
मिल गए चारो धाम,
हो गया संबाद,
भाषा नहीं जानी 
भुला दिया पहचान,
राम राम कहा,
राम राम राम,
हो गया सब काम,
पूछा नहीं कुछ 
पूछ ना था क्या?
जो जानने-समझने 
लायक था,
उसको लिया 
कुछ थाम,
बिना शब्द, 
बिन विराम,
कर लिया संबाद!

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