Tuesday 3 October 2023

कमरा

उस कमरे में 
अभी भी सोये हो,
अपने मिजाज़ मे
हंसते खोए हो,

तुम्हारी खुशबू है 
तुम्हारा एहसास है,
तुम्हारे कमरे मे
तुम्हारी याद है,

तुम्हारी हंसी है 
तुम्हारी आवाज़ है,
उस कमरे का अब 
तुम्हारा-सा अंदाज़ है,

तुम्हारे छुए हुए कपड़े हैं 
तुम्हारे रखे हुए अख़बार हैं,
तुम्हारे सलीके से बिछायी 
अलमारियां सजि हैं,
तुम्हारि योग निद्रा के 
लेटे हुए इतिहास हैं,

उस कमरे मे 
तुम्हारी वाली बात है!

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...