Sunday, 15 October 2023

गुलाल

यहीं लगायी तुमको होली 
यहीं सुनी प्यारी-सी बोली,
यहीं आँख के रंग थे बदले 
यहीं आसमा से मिली थी नजरें,

यहीं नहीं तुम जाने पाए 
यहीं कहीं तुम मुँह बिचकाये,
यहीं पर फैल गए थे हम 
यहीं पर सभी गुहार लगाए,

यहीं पर आना और ठहरना 
यहीं पर होता बहुत मलाल,
यहीं उड़ा था रंग गुलाल
यहीं हुआ था इश्क मे लाल!


No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...