केंद्र मे सत्संग,
केंद्र से हटकर
है जरा विध्वंस,
केंद्र के सब ओर
केंद्र के हैं छोर,
केंद्र से अर्जित
उर्मियों के डोर,
जब केंद्र परिभाषित
और आनंदित,
मध्य मार्ग सुगंधित
सत्य और पुलकित!
लेकर बैठे हैं खुद से जिम्मेवारी, ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर ये खानदान, ये शहर, ये सफाई, कुछ कमाई एडमिशन और पढ़ाई, आज की क्ल...