Thursday 20 June 2019

विच्छेद

चित्रण:श्वेता
मटकी भरे माखन
फूल गली उपवन
पगडंडी पर नज़र
अनसुना मुरलीधर

ये राधा किसी और की।

मायूस धरी मुरली
नयन बिन लावण्य
शून्य-स्तब्ध-चेतन
राधा भूली मोहन

ये राधा किसी और की।

हाथ प्रिय कंगन
माँग धारे परधन
देर भयी गिरीधर
मूरली धारे अधर

अब राधा बस नाम की।

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