Wednesday 12 June 2019

सब सामान्य

हमारा लड़ना सामान्य।
मेरा डरना सामान्य।
मेरा कहना,
तुम्हारा बिदकना सामान्य।

मेरा सत्य,
तुम्हारी हिंसा सामान्य।
मेरा ह्रदय,
तुम्हारा पैसा सामान्य।

मेरा cool,
तुम्हारा झूठ सामान्य।
दिन में सोना,
रात में पढ़ना सामान्य।

अब डर नहीं होगा,
क्योंकि हर शिकायत ,अब हो गयी सामान्य ।

बंगाल में चुनावी हिंसा,
दीदी का मांगना पैसा सामान्य।
मोदी का इंटरव्यू सामान्य।
रविश की बौखलाहट सामान्य।

कन्हैया के भाषण सामान्य।
अरविंद की झुंझलाहट सामान्य।
अब चिढ़ नहीं होगी, क्योंकि बर्दाश्त की राहत सामान्य।

लड़कियों की scooty,
हाफ पैंट मे बाहर सामान्य।
लाइब्रेरी की ठंडक और
लिंगानुपात सामान्य।

CBSE की topper और
non-medical की चाहत सामान्य।
मुहल्ले की दीदी की
मुस्कुराहट सामान्य।

दोस्ती की ad,
नए चेहरों का स्वागत सामान्य।
item-song के परे,
एहसान की मुहब्बत सामान्य।

अब झिझक नहीं होगी,
क्योंकि लड़कियों की आहट सामान्य।

मुस्कुराहटों पर राहत,
ठहाकों की बगावत सामान्य।
तुम्हारी थकावट,
मेरी गर्माहट सामान्य।
तुम्हारे होठों की झुकावट,
मेरी सांसो की हिमाकत सामान्य।

अब कसक नहीं होगी,
क्योंकि पाँचों इंद्रियों की लगावट सामान्य।

चलने में राहत,
खाने में बेस्वाद सामान्य।
खाना बनाना
और दूध पीना
फिर मुझको बताना सामान्य।

नजर चुरा कर,
खुद की नजर से
इंतजार सामान्य।
गुस्से की चासनी मे,
फटे हुए दूध का
छेना-सा उबार, प्यार सामान्य।

अब तकलीफ नहीं होगी
क्योंकि छुपा इजहार सामान्य।

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