Thursday, 28 October 2021

कल

कल जो हुआ
वो भूल कर
आगे बढ़ो!

कल जुबान चली
बस मे न होकर
खुद–ब–खुद,
कल कह दिया
जो न सोचा
शब्द–ब–शब्द,
कल के शोक को
दफन कर आगे बढ़ो!

कल तुम थे अज्ञानी
और मै था अभिमानी
तुम चुप ही रहे 
अपने अभिमान मे
मै महटिया भी गया
अपने अज्ञान मे
कल का नंबर लगा
फिर से बातें करो!

कल तो डर था बहुत
हल्की–सी बात का,
कल तो थे तुम खफा
कुछ बड़ी बात का,
आज छोटी–सी
लगती है,
बात वहीं रह गई
साथ आई नहीं
कल को पर्दा लगाकर
रुखसत करो,
कल को भूल ज़रा
और आगे बढ़ो!

No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...