Wednesday 27 October 2021

राधा

मुरली की धुन से
राधा है थोड़ी नाराज़,

जो बजते ही वो
आ जाती थी
काम–काज सब छोड़ के,
जो बजते ही वह
खो जाती थी
सखियों से रुख मोड़ के,

आज उसी मुरली से डाह मे,
है मुरलीधर से दूर वही
उसकी धुन को शान्त करे
की मुरली है किस काम की?

मोहन फिर भी मुरली वाला
बजा रहा है मुरली को,
अपने चेतन को संवारता
और पुकारता राधा को!


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