Saturday, 16 October 2021

मेला

मेला लगा है
देख लो।

कोई बंदर नाचेगा,
कोई खेल दिखायेगा
चढ़ कर रस्सी के ऊपर,
कोई गुब्बारे की डोर पकड़
ऊपर बहुत उड़ाएगा,
कोई ढोल बजा, कोई सीटी
कोई चरखी नचा,
कोई नाव उड़ा
करतब खूब दिखायेगा
दंग कर देगा,
तरह–तरह के खेल दिखा

मेला घूमके तुम
थक लो।

कोई बेचेगा गोलगप्पे
कोई रसगुल्ले, कोई जामुन
कोई चना कुरमुरा भूनेगा,
कोई झालमुड़ी मे नींबू निचोड़
तीखा जरा बनाएगा,

मेले मे आए हो,
चख लो।

कोई भक्त विचित्र बड़ा होगा
जो खुलके–झुमके नाचेगा,
आरती होगी थाल सजा
सब उसमे पैसा डालेगा,
कोई गाय तो कोई कुत्ते को
घास और रोटी डालेगा,
मंदिर की पहली सीढ़ी पर
सौ बार ही शीश नवायेगा,

मेला बहुत अनोखा है,
सर माथे लगाकर
अपना लो।



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