तो कहने को भी
सुनने को भी
बात मै खुद से करता हूं,
तुम हो नहीं तो
नहीं समझ है
मेरी और किसी को भी,
मै अपनी बातें
तुमसे कहकर
तुमको सोच के हंसता हूं,
तुम बात किए भी बिना
मेरी जो समझ,
समझ कर बैठी थी,
मै उसी समझ की
समझ लिए
खुद को बहलाया करता हूं,
जो तुमसे कह दी
बात बड़ी–सी
बिना सोच के
मुंहफट हो,
मै उसी बात को याद करूं
और आगे–पीछे करता हूं!
अक्सर मैं तन्हाई मे
अब बातें तुमसे करता हूं!
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