अब कदम पीछे हटा लो
की वो नही सुनना जो कल था।
अब नही जंजीर को
कह चूड़ियां पहना सकोगे,
अब नही माथे का टीका
पोछ कर कुल्टा कहोगे,
अब न बोलोगे की बोली
है हमारी आग जैसी,
अब न घर की हर समस्या
पर हमे है डाह सी,
अब न तुम स्कूल जाकर
भी कहोगे गालियां,
अब न रूढ़िवाद को
पढ़ा सकोगे ढर्रा बना,
अब तो अपनी गलतियां
शांति से स्वीकार लो,
पीछे कदम हटा लो अपना
मन जरा सवार लो।
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