Tuesday, 14 December 2021

कदम


अब कदम पीछे हटा लो
की वो नही सुनना जो कल था।

अब नही जंजीर को
कह चूड़ियां पहना सकोगे,
अब नही माथे का टीका
पोछ कर कुल्टा कहोगे,

अब न बोलोगे की बोली
है हमारी आग जैसी,
अब न घर की हर समस्या
पर हमे है डाह सी,

अब न तुम स्कूल जाकर
भी कहोगे गालियां,
अब न रूढ़िवाद को
पढ़ा सकोगे ढर्रा बना,

अब तो अपनी गलतियां
शांति से स्वीकार लो,
पीछे कदम हटा लो अपना
मन जरा सवार लो।


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