Monday 4 July 2022

इमारत


इमारत कहीं से
शुरु हुई होगी,
ज़मीन कहीं तो
खुदी हुई होगी,

कोई जला होगा
कहने से पत्थर को पत्थर
वरना सेब तो पहले भी 
गिरी हुई होगी

किसी जंजीर की
इक कड़ी बनकर हम तो
जमाने मे तुर्रम खां
बन भी गए हैं,
पर ज़ंजीर भी
जिस वजह से बनी है,
उसकी खामी भी हममे 
रही कुछ तो होगी! 

लिक्खे हैं जिसने
वेदों मे नुस्खे,
अंगूठे मे उसके
नमी तो न होगी,

हस्ताक्षर मिलाने
की फुरसत न देते,
उनको जमाने की
पड़ी कुछ तो होगी!

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