Sunday 10 July 2022

Interview

मुझसे भी ज्यादा
मुझे जानती हो,
मेरे हर तरीके का
हल जानती हो

नहीं कुछ बताती
खुलकर मुझे तुम,
पर एक सांचे मे
तुम ढालती हो,

मै बोलूं ही क्या
तुम पूछोगी क्यूं,
जो मै भी जानू 
वो तुम जानती हो,

तुम्हारी इबादत
और मेरी बगावत
के बीच की मुहब्बत
खुदा जानता है!

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...