Tuesday 12 July 2022

इलाहाबाद

रात के दस बजे की
आखिरी रेल दिल्ली
के निजामुद्दीन से धर लो
आज पढ़ाओ नहीं बच्चों को
तुम इलाहाबाद आ जाओ,

सुबह धूप निकलने से पहले
और सड़कों पर चाय की टपरी
खुलने से पहले,
अपनी एक छोटी–सी
ट्रॉली–बैग लेकर
आ जाओ,
उतर जाओ जंक्शन के
प्लेटफार्म नंबर 6 पर
आखिरी साइड
जहां भीड़ कम होती है,
जहां पूल पर चढ़े बिना
और प्लेटफार्म टिकट लिए बिना
मै कर सकूंगा तुम्हारा
इंतजार इक पल रुके बिना,

वहीं उतर कर
फिर गले लग जाना
मुझे दो दिन के सामान वाला
बैग थमाना,
गले लग जाना,
मुस्कुराना, इधर–उधर देखना
मुझसे नज़रें न मिलना
भूल कर पुरानी बातों को सारी
बस मिलने के लिए आना,

मेरे roommates गए हैं
अपने गांव घूमने
तुम घूमने मेरी गली मे
घुमाके चली जाना,
उस वादे की बात ही है
जो हमको था निभाना,

यह हमारी चोरी का होगा
किस्सा छोटा वाला
इसे तुम निभाना,
इलाहाबाद मे मै हूं
रुका हुआ कुछ दिन,
तुम दो दिन का वक्त निकालके
एक बार चली आना!
मै दिल्ली आ चुका हूं
तुम इलाहाबाद आना😊

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