राम को कैसे पहचाना
माथे का देखा टीका
या पीत वस्त्र देखे,
चंद्र भाल वाले
नैनों ने भद्र देखा,
नाम सुन लिया था
पक्षियों के मुख से,
धरती सिमट गई थी
चरणों के स्पर्श–ही से,
क्या धूप मे भयंकर
बरखा लगी थी होने,
क्या काक–पिक की बोली
जानी थी एक होने,
क्या सर–सर
करी पवन मे
अब राम गूंजता था,
क्या गेंहू की
बालियों से
अब राम झूलता था,
क्या नदी बदल गई थी
या आसमान लाल था,
मधुकर के गुंजनों मे
किसका पैगाम था
आहत थे किसकी पाकर
फूलों के रंग निखरे,
किसकी कुलेल सुनकर
हिरनों के झुंड उछले,
क्या गजों के गुंजनों का
अब ओर–छोर छूटा,
अश्वों के धड़कनों का
क्या सब्र ही नहीं था?
किस ओर वो निहारें
जो राम–मय नहीं था,
राम–भक्त शिरोमणि को
क्या अब नया दिखा था?🌻
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