वर्षा नहीं आई
बरसात आ गई,
बूंदे बूंदे टपकी
मेरी सरपरस्ती को,
मुझे फिर दिलासा देने
सौगात आ गई,
ये हो आई JNU
ये ठहरी थी कुछ देर Goa,
ये बंगाल खाड़ी से लेके
कुछ फुवार आ गई,
आज फिर से बिन बुलाए
तेरी याद आ गई,
दिल्ली से चल के निकली
बरेली मे लहर खाई,
लखनऊ के रंग ओढ़े
इलाहाबाद आ गई,
मेरी गली से निकली
मिट्टी मेरी उठाई,
बनारस मे जाके पहुंची
गंगा की गोद बैठी,
ये करके दुआ मुबारक
इत्मीनान आ गई,
वर्षा नहीं आई,
बरसात आ गई!🌻
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