Tuesday, 14 February 2023

दीवार

है इक दीवार
मेरे घर के उस पार,
उसके दरवाजे के
मुझे पार जाना है,

वहीं जहां, 
लड़ाइयां हुई 
भाई और भाई मे
वहीं जहां 
तलवारे खींची 
मेरे ही परजाई ने,
वहीं जहां बिरादर मेरे
वर्षों से ही रहते है,
वहीं जहां पर
चाचा मेरे
तकिया लेकर सोते हैं,

वहीं तो बचपन में मैने
फर्श बैठकर खेला था,
वहीं पे आते थे दादा
तो गोद में उनके कूदा था,
वहीं बना था मेरा पहला
मित्र जो मेरा भाई था,
वहीं थे नंगे घूमे दोनो
वहीं तो कहीं नहाए थे,

आज उन्हीं गलियारों मे
चक्कर एक लगाना है,
गेट पे उसके खड़े हुए
बाहर कहीं ले जाना है,
दीवार के उस पार जाना है!
 

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