चेहरे पर,
आधी आंखें बंद
आधी धूप थी
पैरों पर,
आधी छतरी बंद,
आधी धूप थी
रास्ते पर
आधी बस्ते बंद,
आधी स्कूल
के खुलने पर,
आधी स्कूल हो बंद,
आधी पड़ी
दीवारों पर,
आधी पड़ी जमीन,
आधी धूप
बालकनी में
आधी खिड़की पर,
आधी आई
कमरे मे,
आधी कुर्सी पर,
आधी पड़ी
हिमालय पर
आधी गंगा पर,
आधी मम्मी–पापा पर
आधी बच्चों पर,
आधी धूप सेकते थे
आधी धूप बचाते थे,
आधा सत्य चाहते थे
आधा झूठ सजाते थे,
बच्चे स्कूल जो जाते थे
धूप से ही बतियाते थे,
सुबह आंख अधूरी खुलती
तब धूप को ही गुसियाते थे,
हम स्कूल से आते थे
पीपल नीचे रुक जाते थे,
आधी धूप तो लगती थी
और आधे से बच जाते थे,
और गिलहरी–गौरया की
किस्मत देख मुस्काते थे!
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