Thursday, 2 February 2023

कड़ा –ढीला

हर ढीले को 
कड़ा करना है,
रुका हुआ है
आगे बढ़ना है,
दर्द मे लानी है
खुशी ढूंढ के,
आवाज उठानी है
हमे चुप्पी तोड़कर,
देखना है करते हुए
कुछ देखते हुए करना है,
हमे कुछ खत्म बातों के
आगे भी कहना है,
याद उनको करना है
जो जा चुके हैं दूर,
बात उनसे बढ़ानी है
जो हमसे बहुत दूर,
उनके काम करने हैं
जो कह दिया है बस,
उनको भूल जाते हैं
जिनसे वास्ता बरबस,
कड़े से ढीला
और ढीले से कड़ा,
हमे बदलाव चाहिए,
या फिर राम चाहिए?

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