Saturday 25 February 2023

कीचड़

कीचड़ कितना प्यारा है 
उसमे सुअर लोटा है,
सूअर बड़ा आज़ाद है 
पूरा उसका राज्य है,

वह कीचड़ मे ही खा लेता 
वह कीचड़ मे ही नहा लेता,
कीचड़ मे ही हग देता
कीचड़ से ही लग लेता,

कीचड़ को बिछा लेता 
और कीचड़ को ओढ़ लेता,
कीचड़ को सूंघते वाला 
कीचड़ को वो पा लेता,

मानव सुअर की भाति
खोजना चाहता आजादी,
चरण छोड़कर हनुमत का 
गले बांधता बर्बादी,

बाहर-बाहर भटकाती
यह शरीर है अकुलाती,
मृग-मरीचिका दौड़ाती
राम नाम ठौर दिलाती 
रघुनाथ हृदय की आज़ादी!

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...