Wednesday, 26 April 2023

सुलगन

कुछ सूखी पत्तियाँ 
कुछ माचिस की तिलियाँ,
एक हल्की सी फूँक 
कुछ click and enter,

कुछ रगों की सुगबुगाहट 
कुछ सुने कल्लोल,
कुछ परत की अंगड़ाई 
कुछ सखा के बोल,

सुलगना है आज 
आख़िर कुछ तो करना है,
राम मे है देर-सवेर
अब तो खुद ही जलना है!

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