पर तुम्हारा शहर है,
वही बोलियाँ हैं 
वही तो सफर है,
वही फेरियां हैं 
वही तो नज़र है,
उसी बस में बैठा 
वही से मैं गुजरा,
वही थे चौराहे 
वही था बसेरा,
वही खिड़कियाँ थी 
वही सीट भी थी
वही सारी बातें 
जेहन मे आयीं,
जुल्फों को लपेटे 
वही मुस्कराई,
वही फिर थी खुशबू
वही थी तमन्ना,
वही तुमसे मिलना 
वही फिर बिछड़ना,
अब तुम नहीं थी 
तुम्हारा शहर था,
अब कुछ नहीं था 
यादों का घर था!
 
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