Thursday, 20 April 2023

unsettled

झील मे विचार 
धूल के बौछार,
इधर-उधर 
गये बिखर,
कुछ लेकर संस्कार 
कुछ तलब से बेकार,

नीचे से जाते ऊपर 
भाव के फुहार,
ऊपर से नीचे आते 
पत्थरों मे भार,
राम से बेतार
राम की दरकार 
राम की पतवार 
राम की सरकार
राम राम पुकार!

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