Wednesday 26 April 2023

अंकुश

अंकुश की बात 
आज कर रहा है प्रेम,
आज जलता है प्रेम से 
मुस्कराकर प्रेम,

आज देता है ओरहना
आज देता इल्ज़ाम,
आज है तिरस्कार 
आज है दुत्कार,

आज मेरा प्रेम करता
मुझको अस्वीकार,
आज अंकुश है लगाता
बांधता संसार,

अंकुश के बाहर प्रेम 
आज जाता है,
कर रहा यलगार 
प्रेम मेरा भुलाता है,

खुल रहा पर्दा 
झूमता झूमका,
आज गैरों से परस्पर 
उतरता सदका,

अब हुआ बेतार 
दुनिया मे कहीं जाना,
अब हुआ गुलज़ार 
गुसलखाने मे रोशनदान,

अंकुश के हैं बंधन नहीं 
अब निपट संस्कार,
निरव लाएंगे मिट्टी मे
रघुवीर की पुकार!



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