कैसे दरवाजों के पीछे
धूप से छुपकर सोती हो,
कैसे मिलती नहीं किसी से
किसी को जानती नहीं,
फोन पर रिश्ते बनाती
सुख-दुख बांटती और
रूठा करती, मनाती,
कभी फ़िल्में नहीं देखती
नहीं घूमने जाती,
बैग को कंधों पर
खुद उठाकर घूमती,
तुम क्यूँ साथ किसी का
क्यूँ यहाँ नहीं ढूंढती,
आने के बाद और
जाने से पहले
रहती कैसे अकेले?
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