दिन को दोपहर,
घिसी-पुरानी बात
बहुत तुम सोची
कहती हो,
अँग्रेजी को छोड़
आजकल देशी पीती हो,
राँची को कोची कहती हो,
कोची मे चुप रहती हो,
सभी के साथ पेग लगाती
पर कहने से डरती हो,
कुछ तो ढंग से बोला करती
कुछ और ढंग से जीती हो,
रूम मे बैठ के मैडम जी
आजकल देशी पीती हो?
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