Tuesday, 19 December 2023

वो कहाँ हैं?

वो अब भी यहीं हैं 
मेरे ख़यालों मे
वैसे ही मौजूद,
जैसे उनसे 
मुलाक़ात हुयी थी,
जो यादे उनसे जुड़ी थी 
उन्हें ही सजाते हैं,

मेरे हिसाब से खाते हैं 
मेरे हिसाब से उठते हैं,
आते-जाते हैं, रह जाते हैं,
वो मेरे ही किसी 
जीवन-पड़ाव को 
हूबहू अभिनीत करते 
मेरे जैसा बन 
ख़यालों में आते हैं,

मैं उन्हीं के गुलदस्ते से 
सजा हुआ एक शख्स हूं,
मैं यहीं हूं, वो भी!

No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...