Sunday, 17 December 2023

अधिकार

तुम्हारे व्याभिचार से 
मेरा कुछ चला गया,
बात नहीं की तुमने 
मेरा दुख बढ़ा हुआ,
कैसी है तुम्हारी बात 
कैसी होगी हँसी,
मिलती होगी कैसे 
कैसे मचलती होगी,
यह सोचकर मन मेरा 
जाता और भँवर,
खोता-सा मेरा 
व्याभिचार का अधिकार!

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