बात नहीं करने की,
बात नहीं सुनने की 
बात मे आने की नहीं 
और बात सुनाने की नहीं,
तुम्हारी जिद है 
नाक पर चढ़ कर बैठी,
हुस्न की अंगार बनी 
आंखे फैलाकर ऐंटी,
एक चमक-सी नूर की 
होंठ पर रस-तरल सी,
मेरी तलब की चुभन-सी 
पूनम की शीतल-सी 
नमक-सी, जलन-सी 
मुझे खिंचती कसक-सी!
 
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