तुम्हारे न होने का,
इसे कह दूँ
फकीरी के
सुध खोने का,
इसे कहूँ
किरदारों के
हो जाने की
खुदमुख्तार,
या साथ किसी के
ना बैठने की,
इसे कहूँ की
आवाज़ किसी की
सुनना चाहता हूं,
दरकार किसी
व्यस्तता की जो
करना चाहता हूं,
ये झंझावात
रक्त-प्रपात
श्वास-चक्रावात,
मौसम का मिजाज़
या ठंड की बरसात,
असंतुलन का है
नाम क्या?
विकार का
उद्गम क्या
विस्तार क्या?
राम विमुख
जीवन का
पैगाम और
परिणाम क्या?
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