Friday, 15 December 2023

समाज की बंदिशें

समाज की ये बंदिशें
मुझे मंजूर नहीं,
ये झूठी दुनिया के फैसले 
मुझे ऐसे कबूल नहीं,

ये तौर-तरीकों के ज़िल्द 
ये सलीको की सिलाई,
ये अदब की दफ्तियाँ 
ये मोटे अक्षरों की लिखाई,
ये कानून की किताबें 
मुझे कबूल नहीं!

ये नर की पतलून 
ये देवियों की साड़ी,
ये हिजाब के झरोखे 
स्कर्ट की लंबाई,
ये बालों के फीते 
ये चोटियों की गछाई,
ये पर्दे और नुमाइश 
मुझे मंजूर नहीं!

ये रातों के अंधेरे 
ये दिन के उजाले,
ये दोपहर की धूप 
ये शाम की मुँहारे,
ये तारों का टिमटिमाना 
ये चांद का घट जाना,
किसी और की रोशनी है 
मेरी आँखों का नूर नहीं!

ये तबादलों के नियम 
ये घर से दूरी,
ये कहने की भाषा 
किसी और की बोली,
ये ऑडिट के प्रश्न 
ये बिल भरने के दिन,
ये भाड़े के रिक्शे 
ये सीनियर के जिन,
किसी और की तमन्ना हैं 
मेरे गुल्लर के फूल नहीं!

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