Sunday, 17 December 2023

काम-कर्पूर

ऊर्जा की धीमी 
उभरती सुगंध को,
ज्योति की 
छोटी-सी लौ को,
रिसते हुए जल-अमृत
विभर को,
काम करना 
चाहता राख,
कुछ करके ना-पाक,
जलकर कुछ क्षण 
क्षणिक सुख से मजबूर 
जलता 'छूर्र- छुर्र'
काम-कर्पूर !

No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...