Monday 22 November 2021

addiction

करते–करते, बार–बार
हो गया हूं आदि
मै बार–बार कर रहा
मै कर रहा बर्बादी,

वो खा रहा मुझको
जो खाकर, खा रहा हूं मै,
मै डर भी जाता हूं
पर परस्पर, कर रहा हूं मै,

जो जानता करते हुए
क्या कर रहा हूं मै,
मै कुछ न करता
मान जाता कर रहा है मै,

पर मै को करता जानकर
जो रुक गया था मै,
दूर खुद से हो गया था
देखकर संशय,

अब वक्त जब बचने लगा
तब मन लगा है व्यर्थ मे,
जो चाहता था न ही करना
उसके ही प्रारब्ध्य मे,

जो कर रहा था
वह ही जड़ था,
कर्म के हर मूल मे,
तो छोड़ आखिर
क्यूं चला मै
कर्म के जूनून मे?

एक आदि था मै जो
वही आदि रहा अज्ञान का!
राम की करनी बढ़ाने
राम से अंजान था!

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