आधुनिक हिंदी के श्री कृष्ण
तुम रास–रंग के वादक
तुम युवाओं के अभिप्राय
जब वासना मन पर आच्छादित
तुम प्रेम के अंकुर प्राण
तुम चलचित्रों के कवि
तुम अव्वल प्रस्तुत कर्ता
मुनव्वर कहते तुम शावक
पर तुम्ही हो गोवर्धन धर्ता
तुम राजनीति के प्रदर्शक
पर नही हो उसमे डूबे,
तुम त्योहार पे घर भी आए
पर नही कभी ललचाए,
तुम सारथी हो भीड़ के
भारत के पुत्र तुम,
थे कृष्ण के बस अर्जुन
पर लाखों के गुरु तुम,
तुम YouTube पर बताते
गीता सरीखी इतिहास,
कवि चर्चा का भाग बनते
लाते बात में भी रास,
महारास तुम हो करते
आधुनिक तकनीक से,
थे कृष्ण जैसे लीला
करके दिखाते तुम !
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