Monday 22 November 2021

जल्लीकट्टू


 लेता पीठ का कूबड़
मै परस्पर इधर और उधर
दोनो मे है जंग
एक नई हुड़दग
आगे और पीछे
छूकर सींग के कुछ अंग
पाना चाहे जीवन रंग
और वो व्याकुल
बदलता हर घड़ी के संग,

जो कर चुका है
भीड़ मे बैठा,
मजे लेता
बहुत हंसता,
जैसे है लड़कपन
की ये बात–जल्लीकट्टू !

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