Sunday 7 November 2021

सन्नाटा

सन्नाटे–सा पसर गया है
आज तेरे जाने के बाद,

तुम होते थे तो चौराहों पर
हंसी–ठिठोली होती थी,
तुम होते थे तो दिन मे होली
रात दिवाली सजती थी,

तुम होते थे तो सेल्फी लेकर
"status" सभी लगाते थे,
तुम होते थे तो डेग लगाकर
गाने जोर बजाते थे,

तुम होते थे मम्मी उठकर
रोज टहलने जाती थी,
तुम होते थे तो पापा अपना
फिकर भूल मुस्काते थे,

तुम होते थे तो हर मजाक पर
परिवार साथ मे हंसता था,
तुम होते थे तो कठिन वक्त भी
‘Cake–walk’ सा लगता था,

तुम हंसी ढूंढ लेकर आते थे
छोटी–छोटी बातों मे,
कोई खेल–मदारी क्या देगा
जो मजा तुम्हारी यादों मे,

तुम होते थे तो लड़ने वाले
साथ मे हाथ लगाते थे,
तुम होते थे तो खाने वाले
पूड़ियाँ मांग के खाते थे,

तुम होते थे चाय–पराठे
चुस्की लेकर खाते थे,
तुम होते थे तो सुबह जलेबी
शाम को रसगुल्ले लाते थे,

वो सुबह को छत पर योग करना
बातें करना बड़ी–बड़ी,
वो जीवन की planning करना
‘निष्कासन’ करना घड़ी–घड़ी,

वो रात को अपना दर्द सुनाकर
सोफे पर ही सो जाना,
वो दही–मलाई रोज का खाना
टट्टी करना जभई लगी,

तुम होते थे खुश रहने की
कला सभी को आती थी,
तुम होते थे तो हंसते–हंसते
हफ्ते भी एक पल मे बीते जाते थे

अब नहीं तुम्हारा सुबह का हंसना
शाम का जिंदादिल करना,
अब नहीं तुम्हारा गाना गाना
रात का भोजन संग करना,

भूख–प्यास सब बदल गया है
साथ तेरे खाने के बाद
अगली बार तुम कब आओगे
आज चले जाने के बाद!

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