Friday, 31 March 2023

रूठना

मान जाओगी अगर 
मैं गीत गाऊँगा,
तुम भूल जाओगी 
अगर तुमको मनाऊँगा,

पिक्चर ले जाऊँगा तुम्हें 
घाटे घूमाऊँगा,
अस्सी पे होगी शाम 
गंगा पार ले जाऊँगा,

मैं हाथ धरकर जब 
तुम्हारे साथ चल दूँगा,
तुम भूल जाओगी पुराने 
जब नए किस्से सुनाउँगा,

मैं सोचता था नौकरी
जब हाथ मे होगी,
मेरे इरादों मे तुम भी
मेरे साथ मे होगी,
बात जो करते थे 
मैं फिर से दुहराउँगा,
गानों की फेहरिश्त तुमको 
फिर सुनाऊँगा,
फ़िल्मों के script भी 
फाइनल कराऊंगा,
साइकिल चलाने की 
सुनाओगी तुम भी किस्से,
मैं ठहाकों मे ही खुद 
बेहोश होऊँगा,

कुछ बनते बिगड़ते 
समाज के,
किस्से चबाएंगे 
हम नारी शक्ति के 
किस्सों पर कुछ 
मरहम लगाएंगे,
कुछ प्रेम की बातों की 
नमक मिर्ची मिला लेंगे,
हम अपने टूटे दिल से 
कुछ महफिल जमा लेंगे,

तुम कर लोगे फिर से दोस्ती 
जब हम दिल से बुलाएंगे,
हम गीत गाकर जब तुम्हें 
फिर से मनाएंगे!



बॉडी

कहाँ है वो लड़का 
जो बोलता था 
केवल सच,
उसको इतनी 
रहती थी फ़िकर,
परीक्षा मे झांकता
नहीं था कभी 
इधर-उधर,

मैं जाऊँ उसके गाँव
पहुँच उसके घर,
ढूंढ लेकर आऊँ सच,
उसकी तृप्त आंखों के 
कुंडल और कवच,

उसके जैसा हो जाऊँ 
स्वच्छंद और निडर,
सादा हो जाऊँ मैं 
किसी के भी बातों पर,
रघुबर का आलिंगन पा
बंदर जैसा निश्छल,
बंदर जैसा चंचल!



Thursday, 30 March 2023

पहली बार

पहली बार किया है प्रेम 
रोने दो चिल्लाने दो,
पहली बार भगाया है 
अपना दुखड़ा गाने दो,

पहली बार उड़ी है वो 
पंखों को सहलाने दो,
पहली बार चला है वो 
अभी ज़रा लड़खड़ाने दो,

पहली बार किया है प्रश्न
उलझन मे हो जाने दो,
पहली बार तो आए हैं 
इत्मिनान से बैठ जाने दो,

पहली बार तो रोई है 
आँसू पीकर चखने दो,
मिट्टी मे जाकर लेटी है 
धूल का रंग चढ़ जाने दो,

पहली बार तो मंच पे आया 
कविता कोई सुनाने दो,
पहली बार आंखें दिखलाई 
गर्मी उबाल तक आने दो,

पहली बार असमंजस मे है 
और भीतर तक जाने दो,
पहली बार खुदा को कोसा 
बार बार दुहराने दो,

पहली बार है घर से दूर 
चादर ओढ़ के रोने दो,
पहली बार अलविदा कहा है 
अपना गाल भिगोने दो,

पहली बार शिकार किया 
और ज़रा गुर्राने दो,
आज किसी को क्या समझेगा 
उसे दो दिन खुशी मनाने दो

आज खुदा के घर दूर
मिट्टी का पुतला निकला है,
पहली बार खुदा को भुला 
मिट्टी तक मिल जाने दो!

Sunday, 26 March 2023

धमकी

धमकी से डर जाते हैं?
कुछ बोल नहीं पाते हैं?

किसे तुम अपना 
नहीं जान पाते हो?
किसके बारे में सोच-सोच 
तुम मन में घबराते हो?

मुस्कान तुम्हारी फिक्की 
चेहरा होता बेनूर,
कौन है कर देता तुमको 
बाहर से मजबूर,

कौन-सा ऐसी जिल्लत 
जो पहली बार हुयी है?
कौन है वो इल्ज़ाम 
जो देर तक लगी रही है?

मन की गली मे राम 
तुम कब तक 
नहीं पाते हो?
राम की बोली से अलग 
राम को कब पाते हो?
धमकी से डर जाते हो!


Saturday, 25 March 2023

धुआं

कुछ उड़ा लूँ आज 
कुछ बढ़ा दूँ काज,
कुछ गिरा दूँ कुर्सी 
कुछ लड़ा दूँ पानी

मैं कूद जाऊँ सीढ़ियाँ 
एक बार में दो-चार,
मैं चला लूँ साइकिल 
तेज कर रफ़्तार,

मैं भी खाना छोड़ दूँ 
थालियों में आज,
मैं बता दूँ साथियों के 
आज सारे राज,

आज कुछ धुआं उड़ा लूँ 
आज मन को छोड़ दूँ,
राम को मन-मंदिर बिठाकर 
आज मन के द्वार खोलूँ !

Tuesday, 21 March 2023

flirt

तुम बहुत खूबसूरत 
तुम और चंचल,
तुमपर ढ़की 
गुलाबी जलन,

आँखें देखती नहीं 
मेरी आँखों को सीधी,
किसी और का वसन
कहीं और ही है मन,

ये अलग चुभन 
ये सतत अगन,
ये तेरी-मेरी लगन
गलत-सही का दर्पण,

टूटता है तन 
टूटता कई बार,
आज फिर चला
औरो के अपने द्वार,

अब खिड़कियों 
की रोशनी ही
कर रही गुलजार,
छोड़ आए 
हम बगीचे,
फूल और बहार,

हम छोड़ आए चाँद 
छत पर बादलो के हाथ,
हम छोड़ आए हैं 
तुम्हारा साथ, तुम्हारा हाथ!



घर वापसी

बहुत ही दूर जा निकले 
बहुत से अब ठिकाने हैं 
की अब वापस कहाँ जाएं 
हमारा घर कहाँ पर है?

उनका नाम ले लेकर 
खुद को अब नहीं पाते,
हवा छूकर बताते हैं 
उनका शहर कहाँ तक है?

कत्ल करते हैं 
खामोश रहकर जो,
इशारों से बताते हैं 
घुसा खंजर कहाँ तक है?

मेरी फितरत ही ऐसी है 
की हम मदहोश रहते है,
पता हमको नहीं चलता 
हुस्न का मंज़र कहाँ तक है?

कभी जो आजमाना तुम 
हमारी दोस्ती चाहो,
तो हमारा नाम ले लेना 
देखो डर कहाँ तक है?

खुदा को सजदा मे 
कहीं गर्दन झुका लेना,
ना खोजो तुम कहाँ पर हो 
उसका दर कहाँ पर है?

बहुत फांका किए, रोज़ा रखा 
दरगाह भी घूमें,
अभी इक उम्र बाकी है 
मेरी ग़ुस्सा जहाँ तक है?

हमारा ज़िक्र करके तुम 
सुर्खी लूट लेते हो,
तुम्हें इतनी शिकायत है 
मेरी शोहरत कहाँ तक है?

हमें तुम बात मे अपनी 
हँसकर टाल जाते हो,
हमें मालूम है लेकिन 
तुम्हारी नज़र कहाँ पर है?

बहुत आँखें चुराते हो 
हमारे राह आकर तुम,
देखेंगे मुंडेरो से 
हुयी रुखसत कहाँ तक है?

अजि नाराज़ होते हो 
तुम्हारा नाम लेते हैं,
तुम्हें मालूम पूरा है 
मेरी सिद्दत कहाँ तक है?

बड़े बेवक्त आए हो
हमें रुखसत अदा करने,
दरिया आंख से निकला 
और अब बढ़कर कहाँ तक है?

हमें मत भूलना 
गर कभी मायूस हो जाना,
मेरा कंधा यहाँ पर है 
तुम्हारा सर कहाँ पर है?

तुम्ही से प्यार कर हमने 
खुदा तक रास्ता देखा,
मोहब्बत और इबादत में 
कहो अन्तर कहाँ तक है?



Monday, 20 March 2023

अंतिम भय

जीवन का 
आखिरी भय,
हर साँस मे संशय,
शरीर का भय 
साँसों की कंपन 
सघन-सघन 
आनन-फानन 

और विचार तेज
और प्रपंच,
और कल्पना 
और चित्र-विचित्र,
आखिरी छोर
आखिरी डोर 

इसके बाद मुक्ति 
उस ओर 
इस ओर 
सब ओर 
शांति शांति शांति 
एक ओमकार
सत नाम 
राम राम 
सीता राम!

एक बहाना

एक बहाना 
और चाहिए,
नहीं आज 
उठने के लिए,

कुछ एक कदम 
रुकने के लिए,
फैली हुयी सियाही 
कलम मेरी 
रखने के लिए,

एक बहाना और 
कुछ और नहीं 
चलने के लिए,

टूटा एक ही पंख 
अब और नहीं 
उड़ने के लिए,

एक धमकी बहुत 
कुछ और नहीं 
कहने के लिए,

एक टिप्पणी 
से खिन्न,
अब और मौन 
रहने के लिए,

कुछ दर्द पर 
मरहम मल,
अब और सहन 
करने के लिए,

एक बहाना और 
दूर बहुत रहने के लिए!





Thursday, 16 March 2023

गलबहियाँ

तुम्हारे साथ घुमना 
रखके हाथ कंधों पर,
भरोसा और प्यार 
एक साथ अंधा बन,

मेरी मुस्कान 
और तुम्हारी,
मेरी बात 
और तुम्हारी,
मेरी चाल 
संग तुम्हारी,
मेरी जिंदगी 
और तुम्हारी,

चल रही गलबहियाँ!

इसके बाद

वो भी होगा 
इक दिन,

वहाँ भी 
जाना है,
उस डाल 
बैठना है,
उस झील 
नहाना है,
कुछ और 
भी उड़ना है,
कहीं और 
तैरना है,

उस मंदिर 
पूजा है,
इस मस्जिद 
किया नमाज,
दरगाह भी 
झुकना है,
कीर्तन भी 
गाना है,

जो आज 
कर रहे हैं,
अब उसको 
पूरा कर,
अगले समय 
अगले दिन,
वो भी होगा 
कल के दिन,
जी लेता हूं 
आज के दिन!

bomb

कपड़े बदल लिए 
पगड़ी उतार दी,
कल पुर्जे जुटा लिए 
और रॉकेट बना लिया,

पटाखे जला लिए 
बारूद भर दिया,
मिलकर धुआं उड़ाया 
नेस्तनाबूद कर दिया,

आज आगे बढ़कर 
हमने भी बना लिया 
लड़ने वाला बम
कुछ करने वाला बम!

Sunday, 12 March 2023

हिस्सा

किसका कितना हिस्सा है 
किसका कितना बनता है?
किसको मिट्टी मिलती है 
किसके हिस्से सोना है?

कौन धर्म के काबिल है 
कौन बेकार निठल्ला है?
कौन माया मे गाफिल है 
कौन अनजान सा लल्ला है?

किससे बचकर रहना है 
किसको किससे बचना है?
किसके मन मे पाप बड़ा 
किसने है संताप धरा?
किसको कितना हिस्सा है 
किसके कर्म लिखा क्या है?

तड़प

जब तड़प नहीं 
तो नहीं हैं राम?
क्या हर जगह 
नहीं हैं राम?
प्यास मिटाते 
मिलते हैं,
पर पनघट पर 
नहीं हैं राम?

मन की गहराई 
के भीतर 
घुसते ही क्यूँ 
नहीं हैं राम?
सतह भर पर 
अठखेलियाँ करते 
मिलते-जुलते 
यहीं हैं राम?

राम नाम के 
जाप को धूमिल 
करते भी 
क्यूँ नहीं हैं राम?
राम धाम 
पहुंचाने वाला 
राम सरीखा 
राम का नाम!
राम राम राम राम 
सत्य सत्य राम राम!

Saturday, 11 March 2023

साधना

सुनकर उनकी बात 
मौन दिया मुस्कान,
कुशल क्षेम पूछा
फिर हृदय खोल संबाद,
हाथ जोड़कर नम्र 
करते पहले कर्म,
देखा खुद को 
देखा सबको,
ले ले राम का नाम,
साधना बड़ा संग्राम!

नोक-झोंक

कुछ शब्द 
बहुत ही 
पहले के,
बिन सोचे-समझे 
बोल दिया,
कुछ यादें उनकी 
ताजा की,
कुछ सीमाओं को 
तोड़ दिया,

जब बोला बिना 
कुछ रुके हुए,
बस बात के आगे 
बात रखी,
कुछ तोहमत 
उनपर लगा दिया,
कुछ बातें भी 
उनकी नहीं सुनी,

आज काल 
बेरोक-टोक,
हो जाती है 
नोक-झोंक!

छुट्टी

राम ने छुट्टी 
कब ली थी?
कब काम नहीं 
करने खातिर 
वो घर पर 
थोड़ा बैठे थे, 
कुछ गप्पे 
मारने की खातिर 
वो आराम 
लगाकर बैठे थे,

कब वो बहुत 
अयोध्या की 
चिंता करने 
बैठ गए,
कब राजा 
वो बने तो,
जनता कि सुध
लेना भूल गए,
कब वो 
अपने सपनों मे 
कल्याण जगत का 
भूल गए,
नरेंद्र ने छुट्टी 
कब ली थी?

Friday, 10 March 2023

राम कहाँ हैं?

राम कहाँ हैं 
कहाँ तक हैं 
कहाँ नहीं हैं?

जहां छोड़कर
आए थे 
वही पर बैठे हैं,
या वहाँ पहुँच गए 
जहाँ के लिए 
निकले थे

वहाँ गंगा 
पार कर रहे हैं,
या फिर
झोपड़ी बना रहे,
चले गए गौना मे
या पीहर मे बैठे हैं,
उठा रहे गारा-मिट्टी या 
दुकान खोलकर बैठे हैं,

राम आज हृदय के 
कोलाहल मे,
किस स्वर्ण-मृग 
को दौड़ाते,
आज ध्यान के 
क्षणिक व्याधि मे
राम कहाँ पर 
रम जाते,

राम हृदय वन छोड़
आयोद्ध्या के राजा 
तो नहीं बने,
राम सबर कर रही 
तमाम माता को 
भूल तो नहीं गए,

राम अहिल्या माता के 
तर्पण करने कब पहुंचेंगे, 
राम हनुमान को दर्शन देने
किषकिन्धा कब आयेंगे?

राम के जस-परताप कहाँ हैं?




Thursday, 2 March 2023

बात ही खत्म

करते-करते हो गई 
सब बात ही ख़तम,
पढ़ते-पढ़ते हो गए 
ज़ज्बात ही ख़तम,
क्या जाने उसके बारे मे,
क्या ही उसको बूझे 
क्या हम खाना-पानी पूछें 
क्या पाए साथ निभाने मे?

अब बिना बात के 
मिलने के,
दिन रात भी ख़तम,
अब लगा ठहाके 
हँसने के,
हालात भी ख़तम,
अब उत्कल के 
दरिया मे
उठना बैठना नहाना है 
गंगा-माई जाने का 
इत्मिनान भी ख़तम?




सुधार

तुम सुधर न जाना  बातें सुनकर जमाने की,  कहीं धूप में जलकर  सुबह से नजर मत चुराना,  ठंड से डरकर  नदी से पाँव मत हटाना,  कभी लू लगने पर  हवा स...