कहाँ तक हैं
कहाँ नहीं हैं?
जहां छोड़कर
आए थे
वही पर बैठे हैं,
या वहाँ पहुँच गए
जहाँ के लिए
निकले थे
वहाँ गंगा
पार कर रहे हैं,
या फिर
झोपड़ी बना रहे,
चले गए गौना मे
या पीहर मे बैठे हैं,
उठा रहे गारा-मिट्टी या
दुकान खोलकर बैठे हैं,
राम आज हृदय के
कोलाहल मे,
किस स्वर्ण-मृग
को दौड़ाते,
आज ध्यान के
क्षणिक व्याधि मे
राम कहाँ पर
रम जाते,
राम हृदय वन छोड़
आयोद्ध्या के राजा
तो नहीं बने,
राम सबर कर रही
तमाम माता को
भूल तो नहीं गए,
राम अहिल्या माता के
तर्पण करने कब पहुंचेंगे,
राम हनुमान को दर्शन देने
किषकिन्धा कब आयेंगे?
राम के जस-परताप कहाँ हैं?
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