इक दिन,
वहाँ भी
जाना है,
उस डाल
बैठना है,
उस झील
नहाना है,
कुछ और
भी उड़ना है,
कहीं और
तैरना है,
उस मंदिर
पूजा है,
इस मस्जिद
किया नमाज,
दरगाह भी
झुकना है,
कीर्तन भी
गाना है,
जो आज
कर रहे हैं,
अब उसको
पूरा कर,
अगले समय
अगले दिन,
वो भी होगा
कल के दिन,
जी लेता हूं
आज के दिन!
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