घर लाया बाज़ार
हर पन्ने पर सामान,
चमकदार, चटखदार
बनाती जरूरतें,
free के इश्तेहार,
तेल है, साबुन है
कंघी है, जामुन है,
कुछ खाने के मेवे है,
मिश्रांबु, अंजीरी है,
काजू वाला बिस्किट है,
पेप्सी–कोला चिप्स हैं
मंजन है, निखार है,
शुद्ध प्रोटीन आहार है,
मल्टीविटामिन गोली है
साफी, कायम चूर्ण है।
जब खाकर हो जाओ बीमार,
वो बेच रहे उपचार,
डॉक्टर हैं, विशेषज्ञ हैं
काला–जादू, मंतर है,
आयुर्वेदी बूटी है,
संजीवनी राम से लूटी है।
संभोग में घोड़ा दौड़ेगा,
स्तन सुडौल बड़ा होगा,
लिंग खड़ा रह जाएगा
जो तू ये दवाई खायेगा।
वशीकरण के नुस्खे है,
चेहरा मरम्मत के surgeon हैं,
भागी बीवी आएगी,
बांझपन मिट जायेगी।
भगवान बनाने वाला था,
पर उसने जो कुछ नही किया
वह अखबार दिलाएगा
बाज़ार को घर पर लायेगा।
बाज़ार बड़ा बाज़ार,
जो बेचता था अख़बार,
वो बाज़ार का है मोहताज़,
रुपए की है दरकार।
अब बेचती है सरकार,
अब बेचती है व्यापार,
खुद के पांव पर जमी हुई,
अब बाज़ार ही बेचती है अख़बार।
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