ख्वाब देखे धर्मेंद्र के,
घर मे ननद न भउजी हो
जेठ रहे ता फउजी हो,
उमर 25 के नीचे हो,
भाय–बहिन मे पीछे हो।
बाप मैं 40 पार रहे
माई स्वर्ग सिधार रहे
सेवा करे के होवे ना
एक्को परानी रोवे ना।
खेत त बावन बीघहा हो,
गऊ से बेसी पगहा हो
जाएजात के एकल वारिश हो
पपरधानी पे काबिज़ हो।
Business करे करोड़न मे
हो IAS/PCS जेबन मे
नेतन से पहचान रहे
मोदी आवाज जात रहे।
तनखो लगत गवार न हो,
हमसे छोटा बार न हो,
गाल पे चमक नूरानी हो,
शाहरुख खान से सानी हो।
एकदम नही देहाती हो
London पुर के वासी हो,
डिग्री दस–दस ले ले हो,
Phd अलग से कयिले हो।
डॉक्टरी पूरा जानत हो,
इंजीनियर के त पदावत हो,
हिंदी बोले रूक के
भोजपुरी से रिश्ता दूर के।
अंग्रेजी बोले चाप के,
ना समझे ओकरे बाप के,
लिखे भी सुंदर आवत को,
किशोर कुमार स गावत को।
पर हमारी आगे बोले न,
घरे के बहरे डोले न,
खाना खाए मांग के
पानी पिए छान के।
पर हमारे काम के आतुर हो
और हम से कम्मे चातुर हो,
हमसे लड़त के चुप रहे
पर गांव बदे यमदूत रहे।
रोज घुमावे ले जाए,
पिक्चर देखावे ले जाए
खाना खाएं होटल के,
पानी पिए बोतल के।
नशा–पताई करत न हो,
कोई के मूंहे लगत न हो,
रही जे हमरे मुट्ठी मे,
ओसे बाँधब गट्ठी हम।
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