दृश्य अनोखे दिखा–दिखाकर
कुछ लुभावने कुछ डरा–डराकर।
कुछ करने की कोशिश करते,
कुछ पाने की इच्छा रखते,
मन रखता है जगा–जगाकर।
मानस–पटल, चित्रपट कोरा,
उसपर रंग कई बिखराकर,
मै बन जाता सत्य का चिंतक,
कुछ टूटे टुकड़े उठा–उठाकर।
मन मे राम नही बैठे तो,
मुझको माया नचा–नचाकर,
बना मुझे अंबर का राजा
दीन–हीन सबको बतलाकर,
कुछ नैतिकता का आडंबर
और कहीं पर दरकिनार कर,
मुझको मेरा मन ठगता
राम राह से हटा–हटाकर।
No comments:
Post a Comment