Saturday, 31 July 2021

डर का घर

मैं घर मे डर से
डर डर के घर मे
डर के घर मे
मै डरकर घर मे

निकलूं डर डर के
घर से मै
फिर डर कर 
मै घर पहुंचूं।

मै घर छोड़ूं तो डर छोड़ूं
मै डर छोड़ूं तो घर छोड़ूं,
पर डर है मन मे
मन है डर मे,

डर को कही छोड़ आऊं भी
तो मन पर कैसे काबू पाऊं,
मै मन के बस मे
मन है डर मे,
डर से मन है कुछ बस मे।

मन जब तक मनमानी मे
तब तक डर है मन मे।

जब मन छोड़ूं, तब डर छोड़ूं।


No comments:

Post a Comment

हुनर

दो हाथ से  दो गज का  माप ले लिया, दो नजर मिलाकर  दाम का  सवाल कर लिया, जीने के लिए  जुटा लिया,  अपने हुनर के  जोर से, दो रोटी, एक छत और एक म...