डर डर के घर मे
डर के घर मे
मै डरकर घर मे
निकलूं डर डर के
घर से मै
फिर डर कर
मै घर पहुंचूं।
मै घर छोड़ूं तो डर छोड़ूं
मै डर छोड़ूं तो घर छोड़ूं,
पर डर है मन मे
मन है डर मे,
डर को कही छोड़ आऊं भी
तो मन पर कैसे काबू पाऊं,
मै मन के बस मे
मन है डर मे,
डर से मन है कुछ बस मे।
मन जब तक मनमानी मे
तब तक डर है मन मे।
जब मन छोड़ूं, तब डर छोड़ूं।
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