आ गया इस बार,
हूंक है दिल मे
है हल्का सा डर।
जो कहा नहीं तुमने,
मै सुनने को रुका तो नहीं था,
तुम चली गई बिन बताए,
मै वही खड़ा तो नही था।
अब जानने को दूर से
तुम हो बेकरार,
तुम्हे है इंतज़ार
एक कसक बेकरार,
राम हे राम!
पर सामने से आने से
और नहीं छुप पाने से
तुम्हे है कोई डर
इंतेज़ार खत्म होने से।
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