लोगों ने बेरोजगार
कोई कहे साहब
कोई बाबू कोई सरकार,
कोई कहे भगवान
जिसके दया की दरकार,
कोई कहे की
काम क्या छोटा करोगे आप,
कोई कहे की आप क्यूं
पैदल रहे जग नाप?
कोई कहे की पांव
नाजुक हैं बड़े सरकार के,
साइकिल चला कर
कर रहे क्यूं,
पद दलित सम्मान को परिवार के।
कोई कहे की तीन तल्ला
ना बना तो क्या बना?
कोई कहे मोटर बिना भी
घर का रौनक क्या रहा?
कोई गोबर उठाने वाले
हाथों से दूर भगाता है,
कोई खादी धरने को
दिहाती गंवार बताता है।
कोई लिखने न दे
कोई पढ़ने न दे,
कोई बोलने न दे
कोई कहने ना दे,
कोई बच्चो के साथ मे
खेलने से मना करे,
कोई बात करने पर किसीसे
नाक भौंह सिकोड़ ले,
कोई जमीन पर सोने न दे
कोई मच्छरदानी मे
छेद कर बिगाड़ दे,
कोई कछुआ जलाकर,
सिर दर्द बढ़ा दे
ऐसे ही करते करते
मुझको भी कोई बना दिया
साहब बना कर मुझे भी
कर दिया बेरोजगार।
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