Saturday 31 July 2021

नाना

नाना बच्ची खिला रहे है,
पुचकार कर, दुलार कर,
घोड़ा बनकर, मुस्कुराकर

बीड़ी थोड़ा मुंह से हटाकर,
धुआं बढ़ाकर, सफा कर,
अब बेटी लगती बोझ नही
जब से जाती है काम पर,

वह पढ़ा रही है बच्चों को
टीचर बनकर, कमा कर,
नाना देखते अब घर और बाहर
दारू–सिगरेट छोड़कर,

नही चाहते जाने नतिनी
उनका बीता हुआ कल,
वह संवारते आज खुश रहकर
अपना आने वाला कल।

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