गर तुम सामने से ना आ जाते।
मै तुम्हे देखकर, डर जाता
और बात बनाने कुछ लगता,
मै सोच पुरानी खो जाता
जो तुम्हारे साथ मे कड़वे थे,
मै कहते–कहते चुप जाता
जो तुम बात शुरू खुद न करते।
मै भीड़ का हिस्सा ही रहता
जो नाम हमारा ना लेते,
मै दोस्त भी तुमको ना कहता
जो आकर गले ना मिल जाते,
मै नज़रे नीची कर लेता,
जो 'आप’ मुझे तुम ना कहते।
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