Tuesday, 10 May 2022

मीना दीदी

मीना दीदी जल्दी
कहीं नहीं जाती थीं,
जाती भी थीं तो
ज्यादा दिन रुकती नहीं थीं,

लोगों से जल्दी
घुल–मिल जाती,
उन्हें अपना समझकर
बातें बताती,

शहरों के लोगों को
देखकर समझ जाती,
गांव के लोगों के 
हाल, चाल बताती,

पर जहां भी जाती
अपने बच्चे को
साथ ले जाती,
उसे सबसे मिलवाती,
उसकी उम्र यही कोई
१०–१२ साल बताती,

अपने बड़े से हो गए
बच्चे को ज्यादा दुलारती,
खाना अपने हाथ से खिलाती
नहलाती–धुलाती, पुचकारती,

उनका बच्चा गूंगा था
और दिमाग से पैदल

मीना दीदी
यह समझ नहीं पाती,
वह अपने बच्चे को भी
बच्चा ही समझती,
उसे बच्चा ही बुलाती,

उन्हें अपने बच्चे को
पढ़ा–लिखाकर
Collector तो नहीं
बनाना था,
इसलिए वो ज्यादा
नहीं डर जाती
समाज से और खुद से,
वो खुद ही कमाती
उसे और खुद को खिलाती,

सरकार से कोई गुहार नही
नही कोई ज्यादा उम्मीद,
वो अपने बच्चे अपने जीवन का
हिस्सा समझकर अपना जीवन चलाती,

भविष्य को देखा तो था नहीं
तो भविष्य का क्या गम मनाती,
Special care वाले child की
बातें उनके पल्ले नहीं आती,
वह अपने बच्चे को भी
बच्चा ही समझती,
उसे बच्चा ही बुलाती!




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